आयात-निर्यात कैसे शुरू करें:how to start import exmport

आयात-निर्यात कैसे शुरू करें:

2023 तक, भारत विश्व में वाणिज्यिक सेवाओं का सातवां सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है, जो वैश्विक सेवाओं के व्यापार का 4.6% हिस्सा है। भारत की सेवा निर्यात में 27% की वृद्धि दर्ज की गई है। सितंबर में, भारत के प्रमुख सेवा उद्योग ने मजबूत मांग के चलते तेजी दिखाई। एक सर्वेक्षण के अनुसार, व्यवसायों में पिछले नौ वर्षों में सबसे अधिक आशावाद देखने को मिला।

S&P Global के इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के अनुसार, अगस्त में यह आंकड़ा 60.1 था, जो सितंबर में बढ़कर 61.0 हो गया। यह वृद्धि रॉयटर्स के पोल के अनुमान से अधिक थी, जिसमें 59.5 की गिरावट का अनुमान लगाया गया था।

भारत के सेवा निर्यात में विभिन्न क्षेत्रों का समावेश है, जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), विदेशों में पेशेवरों द्वारा प्रदान की जाने वाली चिकित्सा सेवाएँ, परिवहन, यात्रा, निर्माण, बीमा और पेंशन, वित्तीय सेवाएँ, दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाएँ शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) तिमाही बैलेंस ऑफ पेमेंट डेटा के हिस्से के रूप में सेवाओं के निर्यात का वर्गीकरण जारी करता है, जिसमें इन सभी क्षेत्रों का विवरण होता है।

भारत के सेवा क्षेत्र की यह वृद्धि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो विविधता और उच्च मांग के कारण तेजी से विकसित हो रही है।

step by step info:

1. बाजार अनुसंधान (Market Research)

  • उत्पाद और बाजार की पहचान करें: उन उत्पादों को चुनें जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग है। जानें कि किन देशों में आपकी वस्तु की सबसे ज्यादा जरूरत है और वहां की व्यापारिक नीतियों को समझें।
  • मांग और आपूर्ति का विश्लेषण: आयात और निर्यात की दिशा में वर्तमान ट्रेंड्स को जानें और अपने लक्षित देशों में प्रतिस्पर्धा का विश्लेषण करें।

2. व्यवसाय पंजीकरण और लाइसेंसिंग (Business Registration & Licensing)

  • व्यवसाय पंजीकरण करें: अपने व्यवसाय का नाम चुनें और उसे अपने देश के कानूनी प्रावधानों के अनुसार पंजीकृत कराएं।
  • IEC कोड प्राप्त करें: भारत में आयात-निर्यात व्यापार करने के लिए आयात-निर्यात कोड (IEC) आवश्यक है, जिसे आप DGFT (Directorate General of Foreign Trade) से प्राप्त कर सकते हैं।

3. उत्पाद का स्रोत चुनें (Sourcing Your Products)

  • सप्लायर के साथ संपर्क स्थापित करें: अपने उत्पाद के लिए विश्वसनीय सप्लायर खोजें। आप सीधे उत्पादकों, निर्माताओं या वितरकों से जुड़ सकते हैं।
  • गुणवत्ता सुनिश्चित करें: सुनिश्चित करें कि आपके उत्पाद अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार गुणवत्ता वाले हों और निर्यात के लिए उपयुक्त हों।

4. लॉजिस्टिक्स और शिपिंग (Logistics & Shipping)

  • शिपिंग का प्रबंधन: विश्वसनीय फ्रेट फॉरवर्डर के साथ साझेदारी करें ताकि शिपिंग और कस्टम क्लियरेंस आसानी से हो सके।
  • भंडारण और पैकेजिंग: सुनिश्चित करें कि आपके उत्पाद सुरक्षित तरीके से पैक किए गए हैं और परिवहन के दौरान नुकसान से बचाए जा सकें।

5. टैरिफ और टैक्स (Tariffs & Taxes)

  • आयात-निर्यात नियम समझें: जिन देशों में आप व्यापार करना चाहते हैं, वहां के कस्टम नियमों और शुल्कों का विश्लेषण करें।
  • टैक्स और शुल्क: विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक समझौतों का लाभ उठाएं ताकि शुल्क कम किए जा सकें।

6. ग्राहकों और बाजारों की पहचान (Identifying Buyers & Markets)

  • ऑनलाइन प्लेटफार्म: ट्रेडइंडिया, अलीबाबा, या अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों का उपयोग करें जहां आप अपने उत्पाद की लिस्टिंग कर सकते हैं और खरीदार ढूंढ सकते हैं।
  • व्यापार मेलों में भाग लें: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेकर आप नए व्यापारिक संबंध बना सकते हैं।

7. भुगतान और वित्तीय संरचना (Payment & Financial Structure)

  • सुरक्षित भुगतान प्रणाली: अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भुगतान की सुरक्षा के लिए आप लेटर्स ऑफ क्रेडिट (LCs), बैंक गारंटी, या ऑनलाइन सुरक्षित भुगतान प्रणाली का उपयोग करें।
  • विनिमय दरों को ध्यान में रखें: मुद्रा विनिमय की दरें व्यापार को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए इन्हें भी अपने मूल्य निर्धारण में शामिल करें।

8. दस्तावेज़ीकरण (Documentation)

  • आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करें: आयात-निर्यात व्यापार के लिए जरूरी दस्तावेज़ जैसे बिल ऑफ लैडिंग, कमर्शियल इनवॉइस, पैकिंग लिस्ट, फाइटोसैनेटरी सर्टिफिकेट आदि तैयार रखें।
  • कस्टम प्रक्रिया के लिए तैयार रहें: कस्टम क्लियरेंस के लिए सभी दस्तावेज़ समय पर उपलब्ध कराएं ताकि उत्पाद का आयात-निर्यात बिना रुकावट हो सके।

9. कानूनी और नियामक अनुपालन (Legal & Regulatory Compliance)

  • नियमों का पालन करें: अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए खाद्य सुरक्षा, मानक और स्थानीय कानूनों का पालन करें। विभिन्न देशों के नियामक मानकों को समझें और सुनिश्चित करें कि आप सभी आवश्यक प्रमाणपत्र और लाइसेंस प्राप्त कर चुके हैं।

10. मार्केटिंग और ब्रांडिंग (Marketing & Branding)

  • डिजिटल प्लेटफार्म पर अपनी उपस्थिति बनाएं: अपने उत्पाद को ऑनलाइन और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रमोट करें।
  • उत्पाद की विशेषता पर ध्यान दें: अपने उत्पाद की गुणवत्ता, उत्पत्ति, और स्थिरता पर जोर देकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाएं।

container details:

आयात-निर्यात व्यापार में कंटेनर की सही गणना और शिपमेंट की योजना बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ विभिन्न प्रकार के उत्पादों के लिए कंटेनर क्षमता, प्रक्रियाएँ और महत्वपूर्ण विवरण दिए गए हैं:

1. कंटेनर के प्रकार और क्षमताएँ:

आयात-निर्यात में कंटेनरों की विभिन्न क्षमताएँ होती हैं, जो आपके उत्पाद की मात्रा और प्रकार पर निर्भर करती हैं:

  • 20 फुट का कंटेनर (20 ft container):
    • क्षमता: लगभग 28-30 क्यूबिक मीटर (CBM)।
    • भार: यह लगभग 20 से 28 टन तक सामान ले जा सकता है, उत्पाद के प्रकार के अनुसार।
    • उपयोग: छोटे और मध्यम आकार के माल के लिए।
  • 40 फुट का कंटेनर (40 ft container):
    • क्षमता: लगभग 56-60 CBM।
    • भार: यह 25 से 30 टन तक सामान ले जा सकता है।
    • उपयोग: बड़े या भारी उत्पादों के लिए जैसे मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स या बड़े बैच के सामान।
  • रिफ्रिजरेटेड कंटेनर (Reefer Containers):
    • ये कंटेनर नाशवान उत्पादों जैसे फल, सब्ज़ियों, मांस आदि के परिवहन के लिए उपयोग किए जाते हैं।
    • तापमान नियंत्रित करने की क्षमता होती है, जिससे यह उत्पाद खराब न हो।
  • ओपन टॉप कंटेनर (Open Top Containers):
    • उन उत्पादों के लिए उपयोग किया जाता है जो स्टैंडर्ड कंटेनर में फिट नहीं हो पाते जैसे मशीनरी या बड़ी वस्तुएं।
  • फ्लैट रैक कंटेनर (Flat Rack Containers):
    • भारी सामान या असामान्य आकार की वस्तुओं के लिए, जैसे गाड़ियाँ, ट्रक आदि।

2. उत्पाद के आधार पर कंटेनर की संख्या का निर्धारण:

अलग-अलग उत्पादों की पैकिंग और परिवहन में उनके आकार और वजन के अनुसार कंटेनरों की संख्या निर्धारित की जाती है।

  • कृषि उत्पादों (Agricultural Goods): जैसे कि चावल, मसाले, या दालें, 20 फुट या 40 फुट कंटेनर में पैक किए जाते हैं। एक कंटेनर में लगभग 20-25 टन तक चावल या अन्य अनाज फिट हो सकता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी: इनमें बड़े और असामान्य आकार के उपकरण होते हैं, इसलिए इन्हें 40 फुट के कंटेनर में भेजना अधिक उपयुक्त होता है।
  • प्लास्टिक और केमिकल्स: इनका शिपमेंट फ्लैट रैक या ओपन टॉप कंटेनर में होता है ताकि इन्हें आसान से लोड और अनलोड किया जा सके।

3. कंटेनर बुकिंग और शिपमेंट प्रक्रिया:

  • कंटेनर बुकिंग: शिपिंग एजेंट या फ्रेट फॉरवर्डर से आप अपने शिपमेंट के लिए कंटेनर बुक कर सकते हैं। यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जहाँ आपको अपने उत्पाद की मात्रा और वजन के अनुसार कंटेनर का चयन करना होता है।
  • कस्टम क्लियरेंस: किसी भी शिपमेंट को सफलतापूर्वक भेजने के लिए कस्टम की मंजूरी आवश्यक होती है। इस दौरान आपको जरूरी दस्तावेज़ जैसे कमर्शियल इनवॉइस, बिल ऑफ लैडिंग, और सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजिन तैयार रखने होते हैं।
  • भुगतान शर्तें: आयात-निर्यात व्यापार में सुरक्षित भुगतान के लिए आप एलसी (Letter of Credit) या बैंक ट्रांसफर का उपयोग कर सकते हैं।

4. शिपिंग लागत और प्रक्रिया:

  • शिपिंग लागत आपकी कंटेनर की संख्या, वजन, दूरी, और शिपिंग मोड (समुद्री या हवाई) पर निर्भर करती है। समुद्री शिपिंग आमतौर पर कम खर्चीली होती है लेकिन समय ज्यादा लगता है।
  • फ्रेट चार्जेज (Freight Charges): इसमें बेस चार्ज, फ्यूल सरचार्ज, पोर्ट चार्ज, और हैंडलिंग शुल्क शामिल होते हैं।

5. प्रमुख दस्तावेज (Key Documents):

आयात-निर्यात के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज़ होते हैं:

  • IEC कोड (Import Export Code)
  • बिल ऑफ लैडिंग (Bill of Lading)
  • कमर्शियल इनवॉइस (Commercial Invoice)
  • पैकिंग लिस्ट (Packing List)
  • फाइटोसैनेटरी सर्टिफिकेट (Phytosanitary Certificate) अगर आप खाद्य या कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं।
  • बीमा दस्तावेज (Insurance Documents) ताकि किसी भी नुकसान का कवर हो सके।

6. शिपमेंट ट्रैकिंग (Shipment Tracking):

  • शिपमेंट के दौरान अपने कंटेनर को ट्रैक करना जरूरी है ताकि आप समय पर डिलीवरी सुनिश्चित कर सकें। अधिकांश फ्रेट फॉरवर्डर और शिपिंग कंपनियां ऑनलाइन ट्रैकिंग की सुविधा देती हैं।

7. शिपिंग समय (Shipping Time):

  • समुद्री परिवहन में आमतौर पर 2 से 6 सप्ताह का समय लग सकता है, जबकि हवाई शिपमेंट 5-7 दिनों में पहुँच सकता है, लेकिन यह महंगा होता है।

आयात-निर्यात व्यापार में कंटेनरों का सही उपयोग, कस्टम क्लियरेंस और समय पर शिपमेंट सुनिश्चित करना सफलता की कुंजी है।

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